Wednesday, 28 January 2015

एम. ए पाठ्यक्रम, स्त्री अध्ययन विभाग

महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा
एम.ए. स्त्री अध्ययन
प्रारम्भिक व्याख्यान (उनके लिये जो दूसरे अनुशासनों से स्त्री अध्ययन में आये हैं)
·         स्त्री अध्ययन क्यों
·         स्त्री आंदोलन और स्त्री अध्ययन
·         स्त्री आंदोलन और स्त्री अध्ययन के बीच द्वन्दात्मक सम्बन्ध
·         स्त्री अध्ययन की अन्तरानुशासनिकता
·         स्त्रीवाद और स्त्रीवादी सिद्धान्त क्या हैं
·         स्त्री: उत्पादन और पुनरूत्पादन
·         पितृसत्ता की उत्पत्ति व संरचना (बुनियादों सिद्धांतो जैसे जेण्डर, यौनिकता, शक्ति/हिंसा की व्याख्या)
प्रथम छमाही

प्रथम पत्र : ज्ञान उत्पादन की नारीवादी आलोचना
युनिट 1: जेण्डर की दृष्टि से विचारधारा और ज्ञान का उत्पादन
·         ज्ञान से स्त्रियों का निष्काषन
·         शैक्षणिक और पाठ्यसामग्री का अध्ययन जैसे स्कूल और कालेज पाठयपुस्तक
युनिट 2: अन्तरानुशासनिकता का प्रश्न
·         कुछ महत्वपूर्ण अनुशासनों की आलोचना (किन्हीं दो को लिया जा सकता है; अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र और दर्शनशास्त्र इत्यादि)
·         अन्तरानुशासनिकता: समस्याएँ और सम्भावनाएँ
युनिट 3: स्त्री आंदोलन का इतिहास
·         स्त्री प्रश्न का इतिहास: भारत और यूरोप (बुनियादी मुद्दे-मताधिकार, कामगार महिलाओं का सवाल, जन्म नियंत्रण आंदोलन)
·         भारत में स्त्री आंदोलन: महत्वपूर्ण मुद्दे
युनिट 4: स्त्री अध्ययन का संस्थानीकरण और इसकी चुनौतियॉं
·         स्त्री अध्ययन अकादमिक अनुशासन के रूप में
·         एकीकरण और स्वायत्ता की बहस
·         स्त्री अध्ययन विभागों के अनुभव और चुनौतिया
·         हाशिये के दूसरे समूहों का अनुभव/अनुशासन (हम ले सकते है: सामाजिक निष्काषन, दलित, जनजाति, क्षेत्रीय अध्ययन इत्यादि । 
द्वितीय पत्र: स्त्रियों का विलुप्त इतिहास
युनिट 1: इतिहास में महिलाओं की अवस्थिति
·         एन.सी.आर.टी. टेक्स्ट बुकके माध्यम से भारतीय इतिहास का अवलोकन (दसवीं और बारहवीं कक्षा)
·         मुख्यधारा के इतिहास लेखन की समस्याएँ: निष्काषन और दृश्यता
·         महिलाओं के इतिहासों के पुनर्प्राप्ति की संभावनाएं
युनिट 2: आरम्भिक राजनीतिक संरचना और पितृसत्ता का मजबुतीकरण
·         मेसोपोटामिया में जाति, राज्य और लिंग, प्राचीन भारत में जाति, राज्य और लिंग
·         पितृसत्ता के भीतर स्त्रीयों का सम्मिलन: भद्र महिलाएँ और उनके सत्ता का मार्ग (बहुपत्नि प्रथा, पर्दा आदि)
युनिट 3: भारत में श्रम और सम्पत्ति संबंध
·         श्रम का लैंगिक विभाजन
·         सम्पत्ति संबंध और उत्तराधिकार
·         स्त्रियों की श्रम में भागीदारी
·         श्रेत्रिय विभिन्नताएं और कृषि विस्तार की प्रमुख प्रवृत्तियां
युनिट 4: धार्मिक परम्पराएं
·         वैदिक ब्राम्हणवादी परम्परा
·         बौळ और जैन चुनौती
·         मध्ययुगीन भक्तिवाद-भक्ति,और सुफी धाराएँ
·         अन्य भारतीय परम्पराएं - इस्लाम और ईसाइयत
तृतीय पत्र: पढ़ने के तरीके/साहित्य
युनिट 1: विहंगावलोकन
·         स्त्री अध्ययन और साहित्य से इसका विशेष संबंध
·         साहित्य तथा सामाजिक जीवन में पितृसत्ताएं
·         प्रस्तुतीकरण और प्रतिनिधित्व के सिद्धान्त
·         साहित्यिक कृति का नारीवादी अध्ययन
·         साहित्यिक विधाओं की नारीवादी पड़ताल
युनिट 2: महाकाव्यों के पढ़ने के तरीके और उनकी पुर्नरचना
·         महाकाव्यों के ऐतिहासिक संदर्भ में महिलाएं (रामायण, महाभारत)
·         शकुन्तला/माधवी/उर्वशी
·         सीता, मनिमेखला (सिलपतिहारन)
युनिट 3: लोकविधाओं, मौखिक आख्यानों और प्राचीन रोमांटिक कथाओं में महिलाओं की स्थिति
·         प्राचीन रोमांटिक कथाएं - हीर रांझा/सोहनी महिवाल/लोरिक चन्दा
·         भक्ति के मौखिक साहित्य में स्त्री स्वर का उदय (हम मीरा, महादेवी अक्का, चोक्याची महरी, बहिनाबाई, अण्डाल, लल्द, कबीर, सूरदास, तुलसी को ले सकते हैं)
·         सूफी परम्परा में स्त्री स्वर (हम राबिया, बुल्ले शाह, शाह हुसैन को ले सकते हैं)
युनिट 4: आधुनिक हिंदी साहित्य में महिलाएं
·         आत्मकथाएं
·         लघुकथाएं
·         काव्य
·         पत्र-पत्रिकाएं
·         उपन्यास
चतुर्थ पत्र: देखने के तरीके/सिनेमा टी.वी.
युनिट 1: माध्यम के रूप में सिनेमा और तकनीक का परिचय
·         जनसंचार के प्रस्तुतीकरण के सिद्धान्त
·         विज्ञापन और वैश्विक उपभोक्ता का उत्पादन
·         सिनेमा के सिद्धान्त
आवश्यक अध्ययन
·         जॉन बर्गर - देखने का तरीका का सिद्धान्त
·         मिडिया की समझ - मार्शल मैक लुहान
·         दृश्य आनन्द और आख्यावक सिनेमा: लॉरा मलवी
·         विज्ञापन का विमर्श - गाय कूक
युनिट 2: भारत में सिनेमा और टेलीविजन का इतिहास
·         सिनेमा का विकास - विविध रूप
·         लोकप्रिय माध्यम के रूप में सिनेमा का विकास
·         प्रतिरोध के रूप में डाक्यूमेन्ट्री (दहेज, सती, बलात्कार, साम्प्रदायिक्ता और हिंसा के अनेक रूपों पर बनी डाक्यूमेन्ट्री)
आवश्यक अध्ययन:
·         टेलीविजन - रेमण्ड विलियम
·         महिलाओं की तस्वीरें, नारीवाद और सिनेमा अन इ कालाव
युनिट 3: मिडिया का सामाजिक राजनीतिक तंत्र
·         सिनेमा और टी.वी. का राजनीतिक अर्थशास्त्र
·         स्वप्न निर्माता के रूप में मिडिया: लोकप्रिय प्रत्रिकाएं
·         भारतीय मिडिया में जाति और वर्गीय पूर्वाग्रह
·         दंगे की स्थिति में मिडिया की भूमिका
आवश्यक अध्ययन:
युनिट 4: स्त्री और दृश्यपटल
·         भारतीय सिनेमा की मुख्यधारा में अच्छी स्त्री और खराब स्त्री
·         भारतीय सिनेमा में नयी स्त्री की रचना
·         स्त्री द्वारा निर्मित सिनेमा



द्वितीय छमाही
प्रथम पत्र : पितृसत्ता, सामाजिक पुर्नउत्पादन और यौनिकता
युनिट 1: समाजिक पुनरूत्पादन की अवधारणा
·         मातृत्व के द्वारा पुनरूत्पादन की राजनीति अथवा पुनरूत्पादन की राजनीति और मातृत्व
·         विवाह - यौन नियंत्रण का एक रूप
·         पितृसत्तात्मक विचारधाराओं के द्वारा स्त्री शरीर पर नियंत्रण - सहमति, मिलीमगत, पवित्रता, सम्मान (गौरव)
·         पितृसत्ता की हिंसा और पुर्नउत्पादन
युनिट 2: यौनिकता की सामाजिक संरचना
·         यौनिकता का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य - पुराणों में विभिन्न यौनिक व्यवस्थायें (नगरवधू और देवदासी का चयन किया जा सकता है)
·         पितृसत्ता की सामाजिक संरचना - नियम, अपवाद व दण्ड
·         त्याग व ब्रम्हचर्य
·         उच्च जातीय विधवाओं का जबरन कौमार्यव्रत
·         राष्ट्रवादी विमर्श में यौनिकता
युनिट 3: यौनिकता के बारे में समकालीन बहसें
·         यौन कार्य के बारे में बहसे
·         द्वितीयकता के परे: विविध यौनिकताओं की पहचान
·         यौनिक अधिकार आंदोलन
  द्वितीय पत्र: जाति, वर्ग और लिंग
प्रारम्भिक व्याख्यान: जाति, लिंग और वर्ग का परिचय
युनिट 1: जाति के सिद्धान्त
·         जाति की संरचनावादी विश्लेषण
·         जाति की मौतिकवादी विश्लेषण
·         दलित परिप्रेक्ष्य
युनिट 2: जाति और लिंग
·         विवाह और जाति का पुनरूत्पादन
·         समूह के भीतर व बाहर विवाह के नियम (Endogamy Exogamy)
·         जाति पंचायत और विवाह संस्था का सुदृड़िकरण
·         राज्य की संस्थायें और अंतरजातीय विवाह
युनिट 3: जनजाति और जाति: अवस्थान्तर और निरंतरता का प्रश्न
·         जनजाति की संरचना और उनके सामाजिक आर्थिक संबंध
·         जनजाति और जाति के बीच संबंध
·         जनजाति का जातीय समाज मेंरूपान्तरण
·         जनजाति में श्रम का लैंगिक विभाजन



युनिट 4: वर्ग क्या है?
·         वर्ग का परिचय
·         भारतीय समाज का वर्ग विभाजन (कृषि संबंध)
·         वर्ग और जाति में संबंध
·         वर्ग और लिंग में संबंध

तृतीय पत्र: स्त्री और स्वास्थ्य
युनिट 1: स्त्री स्वास्थ्य के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारक
·         बिमारी के रूप में स्त्रीत्व: स्वास्थ्य बनाम सुन्दरता, सामान्य स्वास्थ्य बनाम प्रजनन स्वास्थ्य
·         कुपोषण की राजनीति, कुपोषण और रक्ताल्यता
·         सामाजिक, सांस्कृतिक वर्जनाएं और व्यवहार (वय, सांधि, गर्भावस्था, शिशुजन्म, रजोनिवृत्ति)
·         स्वास्थ्य सुविधाओं तक आम जनता की पॅंहुच
·         महिला का पेशागत स्वास्थ्य: घरेलू, कृषि और असॅंगठित मजदूरी

युनिट 2: सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों में लैंगिक गैरबराबरी
·         सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति की समीक्षा
·         चिकित्सकीय शोध में लैंगिक पूर्वाग्रह
·         उदारीकरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: उपभोग के रूप में स्वास्थ्य
·         महिला शरीर का चिकित्सकीकरण: गर्भावस्था और शिशुजन्म
·         राष्ट्रीय ग्रामिण स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य में संरचनागत सुधार

युनिट 3: प्रजनन स्वास्थ्य और जनसंख्या नीति
·         जन्म नियंत्रण बनाम जनसंख्या नियंत्रण: महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव
·         वैश्विक गर्भपात अधिकार आन्दोलन: वैधता के मुद्दे, लिंग चयन
·         प्रजनन  नियंत्रण तकनीकी और महिलाओं पर इसके विपरीत प्रभाव
·         मातृत्व की बदलती अवधारणा: सरोगेट मातृत्व

युनिट 4: हाशिए से केन्द्र की ओर
·         विशिष्ट समूहों की स्वास्थ्य जरूरते: शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति
·         साम्प्रदायिक या अन्य द्वन्द के स्थिति में यौन हिंसा की शिकार महिलाएँ
·         मानसिक स्वास्थ्य

युनिट 5: चिकित्सा का इतिहास
·         चिकित्सक के रूप में महिलाएं और उनका क्रमिक हाशियाकरण
·         प्रमुख स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की नारीवादी आलोचना: आयुर्वेद, होम्योपेथी, एलोपोथी
·         महिलाओं का खुद के शरीर पर अधिकार का दावा और स्वास्थ्य स्व सहायता आंदोलन


  चतुर्थ पत्र: दक्षिण एशियाई इतिहास और स्त्री
युनिट 1: दक्षिण एशियाई इतिहास और स्त्री आंदोलन का अवलोकन
दक्षिण एशिया एक भू-संस्कृतिक ईकाई पाकिस्तान बांग्लादेश श्रीलंका और नेपाल का संयुक्त इतिहास। विकासात्मक एवं राजनीतिक मुद्दे, स्त्रियों के मुद्दे और स्त्री प्रतिरोध (विशेषतः प्रतिष्ठा के लिए की जाने वाली हत्याएँ और Huddod ordinance, WAF द्वारा पाकिस्तान में प्रतिरोध, ......... देश के गरीबी मानवतस्करी और वेश्यावृत्ति नेपाल के जनप्रतिरोध में महिलाओं की भूमिका।

युनिट 2:प्रमुख भारतीय भाषाओं के साहित्य में स्त्रियों का प्रतिनिधित्व (किन्हीं दो भाषा साहित्य)
19वीं सदी में स्त्री संबंधी सवालों का उदय एक समग्र अवलोकनार्थ वीर भारत तलवार (रस्साकसी), भवदेव पाण्डेय (बंद महिला) के साथ साथ गैर हिंदी भाषी साहित्य के किंद्दीदो लेखकों का विस्तार पूर्वक अध्ययन (किसी दो भाषा कों)
                बांग्ला: संक्षिप्त समीक्षा इनमें से कोई तीन चयन करें
रासासुंदरी देवी(अमर जीबन)बिनोदिनी दासी(अमर कोण), बंकिम चन्द्र(कपालकुण्डला/देवी चौधारानी), शरत चन्द्र(परिणीता/पाथेट दबि), रबिन्द्र नाथ टैगोर(घरे बैरे/जोगाजोग/चोखेर बाली), आशापूर्ना देवी(प्रथम प्रतिश्रृति)
मराठी: संक्षिप्त समीक्षा निम्न में से कोई तीन
काशीबाई कानिटकर(पालकिचा गोंडा), लक्ष्मीबाई तिलक(स्मृति चित्र), हमसा वडकर(सांगते ऐकाद्), गीता साने(हीरवालीखाली), उर्मिला पवार(एडन), प्रज्ञा लोखंडे(कविताएँ)

युनिट 3: दक्षिण एशियाई साहित्य (किन्हीं दो राष्ट्रीय साहित्यों का अध्ययन)
पाकिस्तान: मुमताज शहनवाज़ (ए हर्ट डिवाइडेड(A Heart Divided)), बापसी सिध्वा (द पाकिस्तानी ब्राइड/क्रौकिंग इण्डिया) तहमीना दुर्रानी (मेरे आंका (My Feudal Lord))
बांग्लादेश: सेलिना होसैन (जोलोच्छास/जुड्डा) फिरदौस आजिम, नियाज जम़न, नसरीन जेहान (लघु कथाएँ), सूफिया कमाल, जस्मुद्दीन (पोएट्री)

युनिट 4: दक्षिण एशियाई साहित्य में स्त्रियों का प्रतिरोधी साहित्य
·         काव्य: चन्द्रावली गीत माइमेन सिंहा गीतिका (बांग्ला/बांग्लादेश, केश्वर नहीद और फेहमिदा रियाज (पाकिस्तान)
·         गद्य: तसलीमा नसरीन लज्जा, अमर मेयबेला (बांग्ला/बांग्लादेश), ज़हिदा हिना पाकिस्तान डायरी/ना जुनुन रहा, ना परी रही (उर्दू पाकिस्तान), माया ठाकुर-द ट्रैप (नेपाली-नेपाल)सी.एस. लक्ष्मी अलियास अम्बे-लघु कथाएँ: द स्कैवरल वोल्गा-अयोनी (तेलगू भारत)बामा-करिक्कू (तामिल भारत)वैधेही-रेटेलिंग शकुन्तला (कन्नड-भारत)नवनीता देव सेन-रामायण रेनट्रस्प्रीटेड (बांग्ला-भारत)



तृतीय छमाही

प्रथम पत्र : जेण्डर और विकास का राजनैतिक अर्थशास्त्र
युनिट 1: राजनैतिक अर्थशास्त्र की बुनियादी अवधारणाऍं
·         राजनैतिक अर्थशास्त्र क्या है
·         आर्थिक गतिविधि क्या है (कार्य, मजदूरी श्रमशक्ति की व्याख्या)
·         औपचारिक/अनौपचारिक श्रम में महिलायें
·         उत्पादन, उपभोग और वितरण

युनिट 2: मुख्यधारा के आर्थिक सिंळातों की स्त्रीवादी आलोचना
·         मुख्यधारा के नवउदारवादी आर्थिक सिद्धान्‍तों की बुनियादी मान्यताएँ
·         इन मान्यताओं की नारीवादी आलोचना
·         तर्कसंगत मनुष्य तथा सतत विकास की मान्यताओं की आलोचना
·         घरेलू श्रम पर बहस

युनिट 3: विकास की बहसों का सन्दर्भ
·         सामाजिक पुर्नउत्पादन एवं इसकी पहचान
·         राज्य की कल्याणकारी नीतियॉं
·         भूमंडलीकरण और आर्थिक गतिविधी में बदलाव
·         श्रम के वैश्विक बाजार में महिलाएं
·         भूमंडलीकरण पर महिलाओं का प्रतिरोध

युनिट 4: उपभोग के तरीके
·         उपभोग की इकाई के रूप में परिवार
·         अन्तर परिवारिक विभाजन
·         वैधानिक अधिकार, पात्रता/पात्रता का अभाव तथा मोलतोल
·         ‘‘देखभाल’’ का अर्थशास्त्र

युनिट 5: मानव विकास परिप्रेक्ष्य
·         विकास के समकालीन माडल(जैसे मानव विकास अवधारणा और सूचक, ट्रिकल डाउन सिद्धान्त, समता और अमर्त्य सेन द्वारा विकसित सामाजिक न्याय की अवधारणा)
·         लैंगिक विकास का दिखावा, विड-वेड; गिड-गेड (WID-WAD/GID-GAD) अन्तरराष्ट्रिय निवेशक और विकास का दिखावा
·         स्वंय सेवी समूह और लघुण की नीतियां
·         विज्ञान और तकनीक की नारीवादी आलोचना

द्वितीय पत्र : अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक विन्यास और सैन्यकरण: सहमति और असहमति
युनिट 1: नया अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक विन्यास
·         बहुधु्रविय से एक धु्रविय विश्व
·         भूमण्डलीकरण और राष्ट्र-राज्य की भूमिका
·         राष्ट्र, राज्य और बाजारीकरण
युनिट 2: स्त्री श्रम पर भूमण्डलीकरण का प्रभाव
·         श्रमशक्ति का अन्तरराष्ट्रीय विस्थापन: विस्थापित श्रमिक के रूप में महिलाएं
·         सेक्स बाजार
युनिट 3: स्त्री और सैन्यीकरण
·         सैन्यीकरण और विवाद
·         सत्ता का अन्तरराष्ट्रिय अनुक्रम (पुर्नउपनिवेशीकरण, उत्तर/दक्षिण आदि)
·         स्त्रीयों पर सैन्यीकरण का आर्थिक अन्य प्रभाव
युनिट 4: युद्ध/द्वन्द की स्थिति में महिलाएं
·         सैन्यिक आन्दोलनों में महिलाएं
·         दंगों में महिलाओं का दक्षिणपंथी साम्प्रदायिक ध्रुविकरण
·         शांति आंदोलनों में महिलाएं
युनिट 5: एक ध्रुविय विश्व में मिडिया
·         वर्चस्वशाली विश्व मान्यताएं और असहमति की निर्मिती
·         कार्पोरेटाइजेशन और इसका प्रभाव
·         आंतक का भय: सैन्य हस्तक्षेप को वैधता
·         असहमति के उपकरण के रूप में मिडिया: प्रतिरोध के बिन्दु
युनिट 6: बहुधु्रविय विश्व की ओर: प्रतिरोध के पक्ष
·         अफगानिस्तान, इराक, ईरान, और फिलिस्तीन
·         लैटिन अमेरिका
·         रूस और चीन
·         जन आन्दोलन

तृतीय पत्र: राज्य विचारधारा, विधिक और शैक्षिक संस्थान
प्रारम्भिक व्याख्यान:
राज्य का चरित्र
राज्य के विचारधारात्मक औजार
युनिट 1: राज्य का लैंगिक स्वरूप
·         राज्य की विचारधारएं: आधुनिक राज्य का पैतृकवाद
·         नागरिकता का प्रश्न: औपचारिक समानता और वास्तविक समानता
·         उत्तर औपनिवेशिक राज्य की नीतियां, भारत में महिलाओं के लिए कल्याणकारी परियोजनाएं
युनिट 2: लैंगिक नागरिकों की रचना: शिक्षा और लैंगिक समाजीकरण
·         पत्नि और मां के रूप में महिला शिक्षा: 19वीं और 20वीं शताब्दी में वर्ग और औपनिवेशिक जररूतों की पूर्ती
·         स्त्री और शिक्षा पर समकालीन बहसें और नीतियॉं
युनिट 3: भारत में समकालीन कानूनी व्यवस्था
·         परिवार के भीतर: व्यक्तिगत आचरण; विवाह, उत्तराधिकार, अभिभावकत्व
·         परिवार के भीतर: स्त्री विरोधी हिंसा, दहेज और घरेलू हिंसा
·         कामगार महिलाओं के लिए कानून: मातृत्व लाभ और बच्चे की देखरेख
·         यौनिक हिंसा: बलात्कार कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न
युनिट 4: नारीवादी कानूनी सिद्धान्त
·         कानूनी व्यवस्था की नारीवादी आलोचना
·         दण्ड विधान में गुनाहगार/तथा गुनाह के शिकार औरतें
युनिट 5: स्त्री आन्दोलन और कानून
·         बदलते कानून (जैसे-बलात्कार दहेज हत्या, सती  और घरेलू हिंसा पर कानून)
·         राज्य के साथ कार्य के अनुभव का विश्लेषण: महिला आन्दोलन में समकालिन बहसें

चतुर्थ पत्र: राष्ट्रवाद, उपनिवेशवाद और जेण्डर
युनिट 1: भारत की औपनिवेशिक संरचना और महिला प्रश्नों का उदय
·         प्राच्यवाद
·         जेम्स मिल और ब्रिटिश भारत का इतिहास
·         आध्यात्मिक भारत की भारतविदों द्वारा रचित छबि
युनिट 2: प्रारम्भिक ब्रिटिश सामाजिक संरचना और संस्थागत हस्तक्षेप
·         सतीप्रथा का उन्मूलन और विधवा पुर्नविवाह कानून (और अन्य कानूनी बहसें)
·         कर व्यवस्था और सम्पत्ति संबंध
·         वर्ग निर्माण और सामाजिक गतिशीलता
·         कामगार महिलाएं: औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में महिलाएं (विस्थापित/कारखाने की श्रमिक)
युनिट 3: राष्ट्रवादी विमर्शों में महिलाओं की जगह
·         प्राचीन अतीत की राष्ट्रवादी संरचना
·         सांस्कृतिक संकट: सुनील गंगोपाध्याय पर बहस, ‘वह समय
·         समाज सुधार आंदोलन और महिला प्रश्न
·         महिलाओं की पुर्नरचना: विवाह संबंधों की नई अवधारणाएँ और बदलता परिवार (भद्र महिला का उदय)
·         महिला प्रश्नों की राष्ट्रवादी प्रस्तावना
युनिट 4: स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाएं
·         गांधी, स्त्री और राष्ट्र
·         क्रांतिकारी आन्दोलनों में महिलाएं
·         कामगारों, किसानों और जनजातिय आंदोलनों में महिलाएं
चतुर्थ छमाही
प्रथम पत्र : स्त्रीवादी अवधारणा/सिद्धान्त
युनिट 1: नारीवाद सिद्धान्‍तों की अवधारणा
·         उदारवादी नारीवाद
·         उग्र नारीवाद
·         समाजवादी नारीवाद
·         मार्क्सवादी नारीवाद
·         अश्वेत नारीवाद
·         दलित नारीवाद
युनिट 2: स्त्री और सीमाओं का विश्लेषन
·         स्त्रीवादी सिद्धान्‍तों में सार्वजनिक-निजी भेद/बहस
·         वास्तुकला का लैंगिक स्वरूप - स्कूल, अस्पताल सार्वजनिक शोचालय आदि
·         राष्ट्रीय सीमाओं का लैंगिक चरित्र - विभाजन, विस्थापन और महिलाओं का आदान-प्रदान
·         सीमाओं का अतिक्रमण दक्षिण एशिया में स्त्री और श्रमिक का विस्थापन
युनिट 3: सिद्धान्‍तों की पुर्नव्याख्या
·         भूमंडलीकरण के दौर में अन्तरराष्ट्रीयतावाद
·         मानवाधिकार, मानव सुरक्षा और स्त्री अधिकार
·         शाश्वत बहनापा बनाम स्टैण्डप्वोइट सिद्धान्त
·         स्त्रीवादी सौन्दर्यशास्त्र - समाज का लैंगिक स्वरूप और कला
द्वितीय पत्र : शोध प्रविधि
युनिट 1: सामाजिक विज्ञानों में शोध प्रवधि - कारण, प्रभाव और प्राकल्पना
·         विषय चयन - वस्तुनिष्ठता, क्षेत्र और सीमाएं
·         प्रमुख आकड़ों के स्त्रोत - परिमाणात्मक और गुणात्मक
·         तथ्य संग्रह - प्राथमिक तथ्य संग्रह के उपकरण और तकनीक (क्षेत्रकार्य एवं सर्वेक्षण, प्रश्नावली, साक्षात्कार, सहभागी अध्ययन)
·         द्वितीयक तथ्य का प्रयोग - साहित्य, दृश्य-श्रव्य सामग्री, ऐतिहासिक आलेखों का संग्रह
·         तथ्य विश्लेषणः वर्गीकरण और व्याख्या, शासकिय उपकरण, परिमाणात्मक तथ्यों का प्रयोग
युनिट 2: प्रचलित शोध प्रविधि की नारीवादी आलोचना
·         जनगणना, सांखिकी और इसकी सीमाएं                              
·         सरकारी दस्तावेजों का अध्ययन: गजेटियर, सरकारी दस्तावेज और विधिक अभिलेख
·         प्रश्नावली और क्षेत्रकार्य: सत्ता संबंधों के प्रति संवेदनशीलता; नारीवादी शोध प्रविधि
·         घरेलू श्रम को जनगणना में रखने का संघर्ष
युनिट 3: नए तथ्यों के उत्पादन के वैकल्पिक स्त्रोत
·         नए आर्काइव बनाना, स्त्री लेखन और प्रतिआख्यानों का महत्तव
·         मौखिक आख्यानक और मौखिक इतिहास
·         लोक कथाएँ
·         कला तथा मंत्रकला में महिलाओं का प्रस्तुतीकरण

Course XV and XVI.  Research Project.

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