महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय
वर्धा
एम.फिल. स्त्री-अध्ययन
·
स्त्री-अध्ययन क्यों? आवश्यकता
एवं उपादेयता (गैर
स्त्री-अध्ययन विद्यार्थियों के लिए)
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स्त्री आन्दोलन एव स्त्री-अध्ययन -
अंर्तसंबंध।
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स्त्री-अध्ययन की अर्न्तअनुशासनिकता।
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पितृसत्ता की उत्पत्ति।
पाठ्यक्रम एक
1.
नारीवादी शोध प्रविधि
मुख्यधारा
समाजशास्त्रीय शोध-प्रविधि:- कारण,
प्रभाव एवं परिकल्पना समस्या चयन, उद्देश्य, संभावना
एवं सीमाएँ।
आँकडे
के प्रमुख, स्त्रोत गुणात्मक एवं आँकड़ा संकलनः प्राथमिक
आँकड़ा संकलन के उपकरण एवं प्रविधि,
(क्षेत्र
भ्रमण एवं सर्वेक्षण, प्रश्नावली, साक्षात्कार, सहभागी
अवलोकन)
द्वितीयक
स्त्रोत के आँकड़े का प्रयोग-साहित्य,
दृश्य-श्रव्य संसाधन, अभिलेखागार।
आँकड़ा
विश्लेषण:- वर्गीकरण एवं विवेचन, सांख्यिकीय उपकरण, परिमाणात्मक
आँकड़े का प्रयोग।
शोध
प्रपत्र का प्रस्तुतीकरण: उपर्युक्त ढाँचा, तालिकाकरण, आँकड़ो
का ग्राफिय प्रस्तुतीकरण, अनुक्रमण एवं संदर्भ तंत्र
2.
मुख्यधारा की शोध प्रविधि की नारीवादी
आलोचना
समग्र
बनाम खंडित ज्ञान
शोध
में सत्त/शक्ति की समस्या
3.
नारीवादी
शोध प्रविधि की तकनीक
नारीवादी
नृजाति-वर्णन/सर्वेक्षण ;विषय एवं व्यक्ति के मध्य अंतर की
समाप्तिद्ध विषय-वस्तु वश्लिेषण, घटना अध्ययन, मौखिक
इतिहास, बहुविधा शोध आँकड़ा विश्लेषण (स्त्रियों
को केन्द्र में लाने हेतु)
4.
सर्जनात्मक
नारीवादी अभिव्यक्ति
सर्जनात्मक
विकल्प के उपकरण एवं तकनीक।
नारीवादी
सृजनात्मकता का दृश्य एवं अभिनयात्मक प्रस्तुतीकरण
पाठ्यक्रम दो:-
समाजशास्त्र
के समकालीन सैळांतिक दृष्टिकोण
·
मार्क्सवाद:-
ऐतिहासिक
भैतिकवाद, मानव इतिहास के विभिन्न चरण, पूँजीवादी
विकास के सिद्धान्त, साम्राज्यवाद, अधिशेष
मूल्य, अलगाववाद, उत्तरमार्क्सवादी
सिद्धान्त, ग्राम्शी का वर्चस्व का सिद्धान्त, मार्क्सवादः
अनुप्रयोग के रूप में, परिवार, निजी सम्पत्ति
एवं राज्य की उत्पत्ति की मार्क्सवादी-नारीवादी व्याख्या।
·
देशजवाद:
स्वायत्ता
के लिए विमर्श के केन्द्र में देशज विरोध का सिद्धान्त एवं व्यवहार, जेपातिस्ता
एवं लौटिन अमेरिका विद्रोह, गांधी, विनोबा, जयप्रकाश
के दर्शन से प्रभावित अभियान एवं इन अभियानों में स्त्री प्रश्नों के अवलोकन की
दृष्टि।
·
उत्तरसंरचनावाद
एवं उत्तर आधुनिकतावाद:-
सार्वभैमिक
सामाजिक नियमों के संरचनावाद के दावे का अस्वीकार, बीसवी शताब्दी
के मध्य से युरोप में विचार एवं बहस के वैकल्पिक आयाम, देरिदा, फुको, क्रीस्टीवा, लेखक
एवं पाठक, सिग्नीफायर एवं सिग्नीफाइड, फ्रेंच
नारीवाद पर प्रभाव।
·
सांस्कृतिक
सापेक्षतावाद:-
अर्थ
एवं उन्नीसवी सदी के नृतत्वशास्त्र के संदर्भ में व्याख्या। आधुनिक समय में
सांस्कृतिक सापेक्षतावाद का राजनीतिक अनुप्रयोग सार्वभैमिक मानवाधिकार के संदर्भ
में सही और गलत की संकल्पना का अनुप्रयोग पितृसत्ता सभ्यता का नारीवादी आंदोलन
द्वारा आलोचना, डब्ल्यु.एल.यु.एम.एफ., डब्ल्यु.ए.एस.
का घटना अध्ययन।
·
नारीवाद:-
वर्तमान
समय में नारीवादी विमर्श का उद्गम। स्त्री-अध्ययन, स्त्री-आंदोलन
एवं नारीवाद।
पाठ्यक्रम तीन:-
·
आलोचनात्मक
नारीवादी मुद्दे:-
नारीवादी
आंदोलन के विभिन्न धाराओं एवं नारीवादी विचार की व्याख्या की मुख्य संकल्पनाएँ।
1. व्यक्तिगत
ही राजनैतिक है, निजी एवं सार्वजनिक
2. हिंसा
एवं पितृसत्ता की केन्द्रीयता।
3. पितृसत्ता, परिवार, धर्म, राज्य, कानून, समाजीकरण
के संस्थागत स्वरूप
4. उत्पादन, सामाजिक
पुर्नउत्पादन एवं पुर्नउत्पादन की राजनीति।
5. सार्वभैमिक
भगनीवाद एवं स्टॅण्ड प्वाइन्ट सिद्धान्त।
कुल 22 क्रेडिट
प्रत्येक पाठ्यक्रम - 4 क्रेडिट
शोध कार्य हेतु 10 क्रेडिट (8लिखित एवं 2
मौखिकी के लिए)
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